Friday, 31 December 2021

NEW YEAR या नववर्ष

  NEW YEAR या नववर्ष.....


ये मेरा new year है क्योंकि जैसे हिन्दी बिना उर्दू अच्छी नहीं, उसी प्रकार विविधता के बिना मेरा देश देश नही। मैने मेरे होश संभालते से ही अपने लोगो को सभी त्यौहार मनाते देखा है, आज हमारे समाज मे वर्तमान स्थिति में भी समाज के कुछ लोगो की अलग अलग अवधारणा है जिसमें कुछ लोग ये कह रहे है कि ये हमारा त्यौहार नही है।

तो ठीक है ये त्यौहार नही है हमारा लेकिन किसी और का तो है तो क्या हम उनकी खुशी के लिए शुभकामनाएं नही दे सकते ???


अगर में अपने मन की सुन कर बताऊ तो बिल्कुल दे सकते हैं ।।


क्योंकि मधुबन खुसबू देता है सागर सावन देता हैं, जीवन उसका जीवन है जो ओरो को जीवन देता हैं,


आप किसी भी धर्म संस्कृति को मानो लेकिन आपकी वजह से किसी को खुशी मिलती हैं, तो आप उस छोटी बड़ी खुशी का स्त्रोत बनिये क्योंकि बाजार में सब मिलेगा लेकिन जो वक़्त निकल रहा है, वो दोबारा नही लौटेगा तो आज को जिओ कल किसने देखा है।


त्यौहार है तो त्यौहार मनाओ उस त्यौहार की अच्छाई को अपनाओ क्योंकि अच्छाई बुराई दो पहलू हैं तो इसमें आपको किस को लेकर चलना है ये महत्वपूर्ण हैं।।


#happynewyear2022♥️

मेरे विचार मेने प्रकट किए है,,

आप भी अपने विचार कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं।।

आपके मार्गदर्शन का अभिलाषी🙏

Wednesday, 20 October 2021

औरत वाणी वेद जैसी🌍

 "औरत की वाणी वेद जैसी हो सकती है"

'दिन और रात भी जमाने में कहीं मिलते हैं।' यह जुमला लोग पति- पत्नी के लिए बहुत कहते हैं। पति-पत्नी में स्त्री-पुरुष होने का भाव जितना अधिक होगा, मेल-मिलाप में उतनी ही झंझट होगी, उतनी ही अशांति होगी। दोनों यदि जीने की राह शरीर से आगे बढ़कर एक-दूसरे की आत्मा को समझें तो इस रिश्ते के मतलब ही बदल जाएंगे। पिछले दिनों मुझे किसी ने बताया एक कार ड्राइविंग सिखाने वाले ने एक स्त्री से टिप्पणी की कि हम महिलाओं से अधिक फीस लेते हैं, पुरुषों से कम। जाहिर है महिला ने पूछा होगा ऐसा क्यों? इस पर उसने कहा महिलाएं किट-पिट बहुत करती हैं। सुनकर मैं चौंक गया। शायद आप भी चौंक जाएं। दरअसल महिलाएं हर व्यवस्था को ठीक से समझना चाहती हैं और जब तक नहीं समझ लेती, प्रश्न करती ही हैं। पुरुष इन मामलों में सतही होता है। तो क्या किट-पिट करना महिलाओं का दोष है? नहीं। किसी भी काम को पूरे हुनर, पूरी व्यवस्था के साथ करना स्त्रियों का स्वाभाविक गुण है, परंतु पुरुष उसे किट-पिट का नाम दे देता है, झंझट कहता है। ऐसे पुरुषों को शास्त्रों में लिखी इस बात पर ध्यान देना चाहिए, 'यत्र भार्या गिरो वेदा।' मतलब, औरत की वाणी वेद जैसी हो सकती है। स्त्री के शब्दों में कभी-कभी बहुत गहरी भावनाएं होती हैं, क्योंकि उसकी समझ को गहराई में जाना है।


Saturday, 9 October 2021

अतीत और भविष्य को मन में पालना ही नकारात्मकता की जड़ है


अतीत और भविष्य को मन में
पालना ही नकारात्मकता की जड़ है

भविष्य, आमतौर पर अतीत की ही प्रतिकृति

या कहें कि उसका अक्स हुआ करता है। कुछ

सतही बदलाव भले ही हो जाते हों, लेकिन

वास्तविक रूपांतरण शायद ही कभी होता हो,

और वह भी इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या

आप वर्तमान में इतना विद्यमान रह सकते हैं

कि अतीत का अंत ही कर दें?

कल्पना करिए कि आप करोड़ों रुपए जीत

गए हैं, फिर आपका जीवन किस तरह बदल

जाएगा। जीवन स्थायी रूप से बदलेगा या धन

आने से वे बदलाव सतही ही होंगे? भले ही

आप अमीर हो जाएं लेकिन अपने कामधाम

उसी संस्कारग्रस्त ढरे के साथ केवल थोड़े सरल अर्थों में कहें तो हम कल्पना लोक

अधिक विलासितापूर्ण वातावरण में कर रहे जीते रहते हैं। बेचैनी, व्यग्रता, तनाव, दबाव,

होंगे। फिर सवाल है कि जीवन में वास्तविक चिंता- ये सब भय के ही रूप हैं, और जरूरत

बदलाव कैसे होंगे?

से ज्यादा भविष्य को पालने और पर्याप्त रूप

अगर आपका मन अतीत का बोझ उठाए से वर्तमान में न रहने के कारण ही ये भय

चल रहा है तो आपको वह बोझ बढ़ता हुआ पैदा होते हैं। अपराध-भाव, पश्चाताप, कुढ़न,

ही लगेगा। वर्तमान के अभाव में ही अतीत व्यथा, शिकायत, उदासी, कटुता और क्षमा न

खुद की निरंतरता बनाए रखता है। वर्तमान करने का कोई भी रूप- ये सभी जरूरत से

में चैतन्यता या जागरूकता की जैसी अवस्था ज्यादा अतीत को पालने और पर्याप्त रूप से

होगी, वैसा ही आपके भविष्य का स्वरूप वर्तमान में न रहने के कारण ही पैदा होते हैं।

होगा- जो कि, वास्तव में अब' के रूप में ही अधिकतर लोगों के लिए यह विश्वास करना

अनुभूत किया जा सकता है।

मुश्किल लगता है कि चैतन्यता की

हमारे जीवन में जितनी भी नकारात्मकता अवस्था में नकारात्मकता से पूरी तरह

है, वह मानसिक समय का संग्रह करने और मुक्त हो जाना संभव हो जाता है।

वर्तमान का परित्याग करने के कारण होती है। -एकहार्ट टॉल्ल की कितावदपावर ऑफ नाउ से साभार


Tuesday, 5 October 2021

अध्यात्म के मार्ग

 अध्यात्म के मार्ग

लंबी बंदिशों के बाद अब जीवन कुछ खुला-खुला सा लगने लगा है। खुलेपन का सबसे बड़ा दृश्य दिख रहा है शिक्षण संस्थाओं के प्रांगण में। स्कूल खुल गए, उत्सव के दिन आ रहे हैं। लेकिन, हमें अब भी बहुत सावधानी बरतना होगी। बच्चों की आंखों में नए उत्साह और जोश की जो चिंगारी चमक रही है, उसे लंबे समय तक बचाए रखना है। कल से मां दुर्गा की आराधना के दिन यानी नवरात्र शुरू हो रही है। इन नौ दिनों में उत्सव चरम पर होगा और फिर दसवें दिन मारा जाएगा रावण। याद रखिएगा, भगवान श्री राम के हाथों मरने के बाद भी रावण अपना कुछ हिस्सा बचा लेता है और दुर्गुण या महामारी किसी भी शक्ल में फिर से आ सकती है। इसलिए खासकर इन दिनों घर से बाहर निकलने पर जो दुनिया दिखे, उसे बहुत सावधानी से देखिएगा और भोगिएगा। हमारे ऋषि-मुनियों ने कालखंड को बड़े अच्छे ढंग से इस तरह से बांटा है कि पितों को याद करके, शक्ति की आराधना करने के बाद हम रावण का समापन करेंगे। अध्यात्म में भी तीन मार्ग होते हैं- ज्ञान, कर्म और उपासना। ज्ञान से विचार मिलता है, कर्म से अनुभव, और उपासना से आस्था। महामारी के बाद जब दुनिया खुलने लगी है तो सामने बहुत-से रास्ते आएंगे, लेकिन यदि इन तीन मार्गों से चले, तो मंजिल आसान हो जाएगी। आने वाले नौ दिन इसी के होंगे।


@krashankant social worker

आत्मबल

 आत्मबल...

मिस्र

देश में एक संत हुए हैं, उनका नाम था हिलेरियो। हिलेरियो 15 वर्ष के थे तब उनके पिता का निधन हो गया। माता पहले से ही नहीं थीं। पिता उनके लिए काफी संपत्ति छोड़ गए थे। लेकिन हिलेरियो ने वह संपत्ति संबंधियों में बांट दी। स्वयं मरुभूमि में ही जीवनयापन करने का निश्चय किया जिस स्थान पर हिलेरियो ने डेटा डाला, वह स्थान समुद्र-तट से दूट घने जंगल में था। जहां डाकुओं का भय हमेशा बना रहता था। हिलेरियो के शुभचिंतकों ने उस स्थान पर न रहने का आग्रह किया। किन्तु हिलेरियो का आत्मबल बढ़ा हुआ था। वे मृत्यु से भी भयभीत होने वाले नहीं थे। जेसी कि मित्रों को आशंका थी, एक दिन कई लोग वहां एकत्रित हो गए और रोब से हिलेरियो से पूछने लगे. 'तुम इस बियावान वन में अकेले रहते हो, यदि कोई तुम्हें कष्ट पहुंचाए और तुम्हारा साज-सामान उठा कर ले जाए तो? हिलेरियो ने उत्तर दिया, जहां तक साज-सामान का प्रश्न है, मेरे पास है ही क्या। पहनने के दो कपड़े और लोटा। यदि उनकी भी आपको आवश्यकता हो, तो में अभी देने के लिए तैयार हूं।' वे फिर बोले, 'यदि कुछ डाकू, जो इन जंगलों में निवास करते हैं, तुम्हें अपने कार्य में बाधा समझकर तुम्हें मौत के घाट उतार दें तो तुम सहायता के लिए किसको पुकारोगे? ''जान से मारना चाहे तो मार दें, में सहायता के लिए किसी को नहीं पुकारूंगा। जीवन में मरना तो एक ही बार है, तो फिर जब कभी भी वह समय आ जाए उसका में हृदय से स्वागत करूंगा। 'हिलेरियो से प्रश्न करने वाले कोई सामान्य नागरिक नहीं, परिवर्तित वेश में उस क्षेत्र में रहने वाले डाकू ही थे। वे उनका उत्तर सुनकर स्तब्ध रह गए। डाकुओं का समूह वहां से चलता बना। में ये कहानी अखबार से पढ़कर आप तक पहुँचा रहा हु आप सब स्वीकार करें।।


@Krashankant social worker

Friday, 1 October 2021

बजरंग बली दादाजी की महिमा

 उज्ज्वल ग्राम युवा शक्ति मण्डल ग्राम पंचायत बाकुड़

आज मण्डल के द्वारा किये गए सहयोग के बारे में बताने जा रहा हूं,

बारिश के दिनों की बात है मण्डल सदस्य गांव के प्राथमिक शाला बाकुड़ पौधरोपण के लिए गए थे कार्यक्रम बहुत ही अच्छे से सफल हो गया था, सब अपने अपने घर के लिए पैदल लौट रहे थे तो याद आया कि कुछ ऊर्जावान साथी अनुपस्थित है तो कारण ज्ञात हुआ कि एक भैया जो गांव से दूर नोकरी करते थे वो नशे की हालत में कार्य करते हुए बारिश मैं भीग जाने के कारण पैरालाइस हो गए है जिनको जिला अस्पताल बैतुल में भर्ती किया गया है लेकिन तबियत में कोई सुधार नहीं है, स्थिति और भिगड़ती जा रही थी तब ही फ़ोन के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई कि जल्द से जल्द भैया को चिचोली के पास एक गांव है मंडई जहाँ बजरंग बली दादा का मंदिर है वहा लेकर जाना है ओर बारिश बहुत तेज़ थी तब  हम सबने सुनिश्चित किया कि omni वेन से चलते है जो भी राशि लगेगी सभी आपस मे मिलकर वहन कर लेंगे। हम 5 से 6 साथी बैतुल के लिए निकल गए बारिश तेज़ थी जिसके कारण सफर बहुत धीरे धीरे करना पड़ा, लेकिन तब तक कुछ परिजन उनको लेकर पाडर के पास तक आ चुके थे, स्थिति को जब करीब से देखा तो पैरो तले जमीन किसक गयी थी, क्योंकि 4 लोगो ने मिलकर उनको एक गाड़ी से दूसरी गाड़ी में बैठाया था हम सब उम्मीद हार चुके थे, लेकिन जब हम सब के ये हालात थे तो परिवार के लोगो का क्या हाल हो रहा  होगा सोच कर उन्हें उनकी गाड़ी से अपनी वेन में बैठा लिये जिसके बाद हम मंडई के लिए निकल गए करीब 1 से 1.30 घण्टे का सफर तय करने के बाद हम मंजिल तक पहुँचे वहाँ की दिव्यता से परे हमारे मन मे बहुत से प्रश्न ओर पेट की भूख सब थी, वहां की नियमावली बहुत ही सख़्त थी, इतना भीगा हुआ इंसान उसे स्नान कर साफ वस्त्र जो कि नए होने के बाद भी धूल कर ही पहनाने थे और वो खुदसे ये सब नही कर सकते थे और जो मदद के लिए कम से कम दो व्यक्ति चाहिये थे तो जो दो व्यक्ति मदद के लिए गए उन्होंने स्नान कर केवल ओर केवल एक पतली सी लुंगी लगा कर मदद की भोजन भी बहुत परहेज से करना था सवा महीने के लिए ये सब करना था वहा एक सराय था जहाँ रुखने की व्यवस्था थी जहाँ पहले से ही 2 से 3 शरणार्थी थे लेकिन बिजली नही थी तो बिजली की व्यवस्था की गई और यह दृश्य भावुकता परिपूर्ण था ये देख कर हम सब हैरान थे सवा महीने में बहुत सारे चमत्कार देखने को मिले और बहुत सी परीक्षा भी हुई लेकिन इन सब से परे परिणाम की चाह ने सब कुछ सही तरीके से ओर सही समय से करवा लिया।

बजरंग बली दादा जी की दिव्यता इतनी बड़ी देखने को मिली कि हम सब उम्मीद हारने के बाद उस व्यक्ति को आज वापस से हँसते मुस्कुराते हुए कार्य करते देख रहे हैं।।

यह घटना के साक्षी हम मण्डल के सभी सदस्य है।।

सब प्रभु की माया है कहीं धूप कहि छाया हैं।।


#krashankant social worker🙏

Thursday, 30 September 2021

धैर्य और साहस

 धैर्य और साहस

एक छोटा सा गांव था, करीब 30 से 40 परिवार की बस्ती थी बड़ी चहल पहल ओर बहुत प्यारे लोग की बस्ती थी इस वजह से गांव बहुत सुंदर था। वहा गांव से थोड़ी दूर एक बहुत बड़ा कुआं था जो कि बहुत गहरा भी था, गांव में एक दिन एक गाय वहाँ गिर गई गाय का बछड़ा जोर जोर से रोने लगा बछड़े की आवाज वही से जा रहे एक किसान को सुनाई दी तब ही वो किसान उस कुएं के पास जाकर देखा देखते ही वो गांव की ओर भागा उसे भागता देख गांव के लोग उसे पूछने लगे कि क्या हुआ आप इतना भागते हुए क्यों आ रहे तो उसने बताया कि उस कुएं में गाय गिर गयी है, ओर उसी बात को बताने के लिए में भागता हुआ आया था, सबने बात सुनी उसके बाद सब लोग कुएं के पास जाने लगे थोड़ी देर बाद ही वहाँ बहुत लोग इकट्ठे हो गए जब लोगो ने उस गाय को वहाँ देखा तो सब बहुत भावभिन हो गए, फिर कुछ समय बाद वहाँ उपस्थित सभी लोग अपने अपने विचार रखने लगे और जब सबने वह विचार बता रहे हैं लेकिन गांव के बुजुर्गो ने बताया कि यहा इस कुएं में पहले भी इस प्रकार के हादसे हो चुके हैं ओर हर बार जो गिरा उसकी मृत्यु ही हुई है तो सब के मन मे भय उतपन्न हो गया, फिर बुजुर्गों की बात सुन वहाँ के लोगो के मन में विचार आया कि अगर गाय के जगह किसी का बच्चा होता तो क्या होता, क्यों न हम इस कुएं को ही रेत मिटटी डाल कर (मूंद) बंद कर दे।

कुछ देर बाद सभी लोग उस कुए में रेत मिट्टी डालने लगे गाय बहुत जोर जोर से आवाज निकाल रही थी, साथ साथ गाय अपने बदन (शरीर) को हिलाकर मिट्टी नीचे गिरा देती थी उपस्थित लोग मिट्टी रेत डालते थे और गाय  अपने शरीर को हिला हिला कर मिट्टी नीचे गिरा देती थी ओर उस मिट्टी के ऊपर हो जाती थीं, कुआं धीरे धीरे मिट्टी और रेत से भरने लगा जैसे जैसे कुआं भरा साथ साथ गाय उस रेत मिट्टी के साथ ऊपर आने लगी ओर अंततः गाय ऊपर आ गयी!

बुरा वक़्त तो सबका आता है लेकिन जो धैर्य और साहस गाय ने दिखाया है उसी प्रकार हमे भी बुरे वक़्त का सामना धैर्य और साहस के साथ करना चाहिए।।

कमेंट करके बताये की प्रयास कैसा था, ओर क्या सुधार किए जा सकते हैं।

प्रयास-

#krashankant social worker 

Monday, 27 September 2021

संघर्ष

 संघर्ष एक 10 वर्षीय बालक का 

एक बालक जिसका नाम राम था, जो कि जंगल में बसे एक छोटे से गांव में रहता था गरीब परिवार से था और बहुत गरीबी से जीवन काट रहा था, अपने परिवार की जरूरी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उसके माता पिता मजदूरी करते थे, जिससे परिवार में मात्र भोजन की व्यवस्था ही हो पाती थी, राम बहुत ही समझदार था अपने माँ पिता जी की दिन भर की मेहनत से जो कुछ भी भोजन में मिलता उसे आनंद के साथ खा लेता था, उस समय राम 5वी कक्षा में था, और पढ़ाई में बहुत रुचि रखता था नियमित स्कूल भी जाता था और रोज स्कूल से लौटने के बाद राम अपने मित्रों के साथ गांव में ही खाली पड़ी जगह पर खेलने भी जाता था, खेल में उसे कबड्डी खेलना बहुत पसंद था ओर वो कबड्डी खेल के बारे में बहुत कुछ जानता था साथ साथ अच्छी कबड्डी भी खेलता था। इसी प्रकार साल बीतता गया और राम ने अपनी 5वी कक्षा 56% से पास कर ली जिससे राम ने अपने गांव में प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया और अपने गरीब माता पिता का नाम रोशन किया गांव के स्कूल में उस गांव के मुखिया का पुत्र भी राम के साथ ही पड़ता था लेकिन उसके अंक राम से कम थे, राम के प्रथम आने के कारण राम के माता पिता बहुत खुश थे ।

  लेकिन गरीबो को खुशी ज्यादा समय के लिए नही मिलती, राम के 5वी पास करने के बाद अब उसे कक्षा 6 में प्रवेश लेना था ओर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए राम को गांव से 10 किलोमीटर दूर स्कूल में ही दाखिला मिल पाता क्योकि उसके अतिरिक्त उससे कम दूरी में कोई माध्यमिक स्कूल ही नही था, लेकिन स्कूल जाने के लिये जंगली इलाके वाली एक कच्ची सड़क ही थी, जिसके कारण गांव के बाकी के बच्चे 5वी कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देते थे, राम के माता पिता भी राम की पढ़ाई बन्द करवाने के लिए मन बना चुके थे, लेकिन एक ओर राम के माता पिता राम के पढ़ने की जिज्ञासा को देख कर राम के सुनहरे भविष्य को नजरअंदाज नहीं कर पाए, और माता पिता ने सुनिश्चित किया कि राम की पढ़ाई पूरी करवानी है जिसके लिए राम की माता जी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि राम के बाबा आप राम के साथ उसके स्कूल रोज आना जाना करना घर के ख़र्चे के लिए में मजदूरी कर लुंगी राम और राम के पिता असमंजस में पड़ गए राम के पिता इस बात से बिल्कुल भी सहमत नहीं थे लेकिन राम की माता जी ने उन्हें मना लिया, राम के पिता ने राम का दाखिला करवा दिया ओर रोज राम के साथ आना जाना करने लगे समय निकलता गया और राम ने देखते ही देखते 6वी ओर 7वी दोनों कक्षा 55 % ओर 57% के साथ पास कर ली माता पिता बहुत खुश थे और राम भी क्योंकि राम बस अपनी मंजिल से मात्र एक कदम की दूरी पर था, क्योंकि उस समय 8वी कक्षा के बाद वनरक्षक  पद मिल जाते थे, और राम का लक्ष्य भी यही था। 

8वी कक्षा की पढ़ाई प्रारंभ हो गई थी 2 महीने की पढ़ाई पूरी हो गई थी और उसके कुछ दिनों बाद बहुत ही बड़ी खुशी राम के परिवार को मिली राम इकलौता था लेकिन उसी समय राम की माता जी करीब 12 वर्ष बाद गर्भावस्था धारण की जिसकी खबर राम और राम के पिता को मिली राम और राम के पिता बहुत खुश थे पूरा परिवार बहुत खुश था लेकिन खुशी के कारण वो ये सब भूल गए कि अब राम की माता जी को मजदूरी करने में बहुत दिक्कतें आ सकती हैं, ओर यही हुआ गांव की ताई ने राम की माता जी की स्थिति देख कर राम के माता पिता को समझाया की अब राम की माँ को मजदूरी नही करवाये ओर ये बात से पूरा परिवार बहुत चिंतित हो गया, राम की पढ़ाई में संकट उत्पन्न हो गया, लेकिन माता पिता के कर्तव्य से राम के माता पिता विमुख नही हो पाए और राम के माता पिता ने राम को सलाह दी कि राम तुम वही किसी के घर से रह कर अपनी पढ़ाई पूरी कर लो, राम अपने पिता जी के साथ अपनी जरूरत का सामान लेकर स्कूल के पास के गांव में रहने वाले अपने मित्र के पास गया। जिस मित्र के पास राम गया वो राम की पढ़ाई और व्यवहार के कारण राम को मना नही कर पाया और राम के मित्र ने राम से कहा कि राम तुम अपनी बाकी की पढ़ाई मेरे घर से ही पूरी कर लो में अपने परिवार को मना लूंगा ओर राम के पिता राम को छोड़कर गांव वापस लौट गए । राम को अपने माता पिता की बहुत याद आ रही थी राम को उसके मित्र ने संभाला राम के ये 8 महीने बहुत मुश्किल से गुजरे।

राम ने अपनी परीक्षा सम्बंधित सम्पूर्ण तैयारी कर ली थी, राम की परीक्षा समाप्त होने वाली थी राम अपना अंतिम प्रश्न पत्र हल कर रहा था और बहुत खुश भी था क्योंकि 8 महीने बाद राम अपनी माता जी से मिलता।  राम 8 महीने बाद अपने मित्र को छोड़ अपने घर जा रहा था राम बहुत भावुक था और राम का मित्र भी लेकिन राम की भावुकता उसके घर जाने की खुशी में छिप सी गयी थी, राम जब अपने घर 8 महीने बाद अपने घर पहुँचा ओर अपने माता पिता का आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें बताया कि परीक्षा बहुत ही अच्छी तरह सम्पन्न हुई ये सुनकर राम के माता पिता बहुत खूश थे। परीक्षा के कुछ दिनों बाद राम की माता को पुत्री हुई राम को एक छोटी बहन मिल गयी राम बहुत खुश हुआ।

 राम ने 8वी कक्षा की परीक्षा में 68% प्राप्त किये थे जो कि क्षेत्र के सर्वोच्च प्रतिशत थे राम ने अपना अपने परिवार गांव सभी का नाम रोशन किया, राम अपने गांव के लिये मिसाल बन गया और कुछ दिनों बाद राम ने वनाधिकार के लिए फिजिकल की तैयारी प्रारम्भ कर दी और कुछ वर्षों बाद राम एक वनाधिकारी बन गया। 

 राम का जीवन बहुत संघर्ष पूर्ण था जो कि प्रेरणादायक है ।

प्रयास।।

स्वीकार करने की कृपा करें। 

आपका आशीर्वाद मेरी सफलता❤️🙏

KrashankantSocialworker


Sunday, 26 September 2021

विचार से जीवन

 1. अपनी जिज्ञासा को जीवित रखे 

क्योंकि 

इसीसे आप नए दरवाजे खोल पाते हैं,

नई चीजें कर पाते है,

आगे बढ़ पाते है।



2. प्रयत्नशील रहने से ही

सफलता प्राप्त होती है!

थमने से तो जल भी

संकट में आ जाता है!!


3.बारिश की बूँदे भले ही छोटी हो,लेकिन उनका लगातार बरसना,बड़ी नदी का बहाव बन जाता है ऐसे ही हमारे छोटे छोटे प्रयास, निश्चित ही जिंदगी में बड़ा परिवर्तन लाने में बड़ी सार्थक भूमिका निभाते हैं।


4.जीवन में दो ही लोग

असफल होते हैं 

एक वो जो सोचते हैं

लेकिन करते नहीं

दूसरे वो जो करते हैं

पर सोचते नहीं।


5."कोशिश" एक छोटा सा शब्द है

जो बहुत अंतर लाता है। 


अगर हम कोशिश करते हैं तो हम केवल विफलता की जोखिम लेते हैं 

लेकिन 

अगर हम कोशिश नहीं करते हैं तो हम विफलता सुनिश्चित करते हैं।


6.यदि आप एक अवसर गांवते हैं 

तो अपनी आंखों को 

आंसू के साथ बंद ना करें, 

इसके बजाय अपना दृष्टिकोण स्पष्ट रखें ताकि आप अगले अवसर को प्राप्त कर सके।


7.बहुत से लोग पैसे खर्च करते हैं जो उन्होंने कमाया नहीं है,

वो चीजें खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं है, 

और उन लोगों को प्रभावित करते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते हैं।


8.अपनी सफलताओं को दोहराने में आनंद नहीं है,

कुछ नया करते रहना ही आपको खुशी देगा।


9.बढ़ती ऊंचाई के अनुपात में जड़ों को कितनी गहराई देना,

तकनीकी रूप से जरूरी है,

यह एक वृक्ष अच्छे से जानता है।


10.एक इच्छा से 

कुछ नहीं बदलता,

एक निर्णय से 

थोड़ा कुछ बदलता है,

लेकिन 

एक निश्चय 

सब कुछ बदल सकता है।



प्रयास।।

स्वीकार करने की कृपा करें। 

आपका आशीर्वाद मेरी सफलता❤️🙏

KrashankantSocialworker