Wednesday, 20 October 2021

औरत वाणी वेद जैसी🌍

 "औरत की वाणी वेद जैसी हो सकती है"

'दिन और रात भी जमाने में कहीं मिलते हैं।' यह जुमला लोग पति- पत्नी के लिए बहुत कहते हैं। पति-पत्नी में स्त्री-पुरुष होने का भाव जितना अधिक होगा, मेल-मिलाप में उतनी ही झंझट होगी, उतनी ही अशांति होगी। दोनों यदि जीने की राह शरीर से आगे बढ़कर एक-दूसरे की आत्मा को समझें तो इस रिश्ते के मतलब ही बदल जाएंगे। पिछले दिनों मुझे किसी ने बताया एक कार ड्राइविंग सिखाने वाले ने एक स्त्री से टिप्पणी की कि हम महिलाओं से अधिक फीस लेते हैं, पुरुषों से कम। जाहिर है महिला ने पूछा होगा ऐसा क्यों? इस पर उसने कहा महिलाएं किट-पिट बहुत करती हैं। सुनकर मैं चौंक गया। शायद आप भी चौंक जाएं। दरअसल महिलाएं हर व्यवस्था को ठीक से समझना चाहती हैं और जब तक नहीं समझ लेती, प्रश्न करती ही हैं। पुरुष इन मामलों में सतही होता है। तो क्या किट-पिट करना महिलाओं का दोष है? नहीं। किसी भी काम को पूरे हुनर, पूरी व्यवस्था के साथ करना स्त्रियों का स्वाभाविक गुण है, परंतु पुरुष उसे किट-पिट का नाम दे देता है, झंझट कहता है। ऐसे पुरुषों को शास्त्रों में लिखी इस बात पर ध्यान देना चाहिए, 'यत्र भार्या गिरो वेदा।' मतलब, औरत की वाणी वेद जैसी हो सकती है। स्त्री के शब्दों में कभी-कभी बहुत गहरी भावनाएं होती हैं, क्योंकि उसकी समझ को गहराई में जाना है।


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