जीवन हमेशा एक सा नहीं रहता। परिवर्तन को स्वीकार कर ही हम अपनी हताशा-निराशा से उबर सकते हैं और समय के साथ चलकर अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। यह प्रवचन मुनि विनय कुमार आलोक ने दिए। मुनि ने कहा कि महान दार्शनिक अरस्तू ने कहा है, परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हम प्रकृति के इस नियम को जब भी मानने से इंकार करने लगते हैं, तब हम दुखी होते हैं, अवसाद से घिर जाते हैं। हमें स्वीकारना होगा कि जब अच्छे दिन स्थायी नहीं रहते, तो बुरे दिन भी नहीं रहेंगे। जो व्यक्ति इस सत्य को जान लेता है, वह कभी निराश-हताश नहीं होता। बदलना जीवन का विशेष गुण है। प्रत्येक व्यक्ति देखता है जन्म युवा बुढा़पा आता है। हर व्यक्ति भेष भूषा भी बदलता है खान पान में भी बदलाव आता है बहुदा स्थितियों में भी बदलावा आता है। कभी व्यक्ति उच्चता ग्रहण करता है और कभी सामान्य स्थिति में रहता है। यदि व्यक्ति इस बदलाव को समझ ले तो व्यक्ति को किसी भी प्रकार की मानसिक परेशानी नहीं होगी। रामायण में भी कहा गया है कि जिस स्थिति में भी राम रखे उस स्थिति में ही रहना चाहिए। अणुव्रत आंदोलन बदलाव का आंदोलन है वह व्यक्ति में चारित्रक और मानसिक बदलाव करता है। सचमुच में इसी का नाम बदलाव है। इस दौरान मुनि ने कहा कि जीवन के सफर का वास्तविक आनंद हम तभी उठा सकते हैं, परिवर्तन शाश्वत है। समय के साथ किसी भी वस्तु, विषय और विचार में भिन्नता आती है। मौसम बदलते हैं। मनुष्य की स्थितियां बदलती हैं। समय के साथ उत्तरोत्तर बदलने को ही विकास कहा जाता है। यदि हम बदलाव से मुंह चुराएंगे, तो हमारा विकास नहीं हो सकेगा।
Sahi hai time ke anusar badlna chahiye
ReplyDelete🙏
DeleteBilkul sahi ❤️
ReplyDelete♥️🤗
Deleteजीवन का पहलू है
ReplyDelete100% right
ReplyDeleteGajab bhai
ReplyDeleteAbsolutely right bro
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