Tuesday, 4 July 2023

मणिपुर हिंसा

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में


Monday, 3 July 2023

फिक्र करता हूँ

कभी कभी 
मैं बहुत फिक्र करता हूँ 
तुम्हारी। 

फिर मैं रुक कर
जाँच करता हूँ अपने फिक्र की-
कि
कहीं फिक्र के शक्ल में
मैं तुम्हें दबाना तो नहीं चाहता। 

मैं पितृसत्ता वाले समाज में
बड़ा हुआ हूँ-
इसलिए खुद को हमेशा 
शक के घेरे में रखता हूँ। 

अपने उस राक्षस को साध रखता हूँ,
जो तुम्हें बांध मेरी औरत बना देना चाहता है। 

तुम्हारी आज़ादी पर मेरा 
कोई हक़ न हो-
मेरे फिक्र की हरदम 
इसलिए जांच हो।

कुछ भी हूँ तुम्हारा
आखिर
तुम्हारे स्वयं से ज्यादा नहीं हूँ मैं।।




जीवन हमेशा एक सा नहीं रहता।

जीवन हमेशा एक सा नहीं रहता। परिवर्तन को स्वीकार कर ही हम अपनी हताशा-निराशा से उबर सकते हैं और समय के साथ चलकर अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। यह प्रवचन मुनि विनय कुमार आलोक ने दिए। मुनि ने कहा कि महान दार्शनिक अरस्तू ने कहा है, परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हम प्रकृति के इस नियम को जब भी मानने से इंकार करने लगते हैं, तब हम दुखी होते हैं, अवसाद से घिर जाते हैं। हमें स्वीकारना होगा कि जब अच्छे दिन स्थायी नहीं रहते, तो बुरे दिन भी नहीं रहेंगे। जो व्यक्ति इस सत्य को जान लेता है, वह कभी निराश-हताश नहीं होता। बदलना जीवन का विशेष गुण है। प्रत्येक व्यक्ति देखता है जन्म युवा बुढा़पा आता है। हर व्यक्ति भेष भूषा भी बदलता है खान पान में भी बदलाव आता है बहुदा स्थितियों में भी बदलावा आता है। कभी व्यक्ति उच्चता ग्रहण करता है और कभी सामान्य स्थिति में रहता है। यदि व्यक्ति इस बदलाव को समझ ले तो व्यक्ति को किसी भी प्रकार की मानसिक परेशानी नहीं होगी। रामायण में भी कहा गया है कि जिस स्थिति में भी राम रखे उस स्थिति में ही रहना चाहिए। अणुव्रत आंदोलन बदलाव का आंदोलन है वह व्यक्ति में चारित्रक और मानसिक बदलाव करता है। सचमुच में इसी का नाम बदलाव है। इस दौरान मुनि ने कहा कि जीवन के सफर का वास्तविक आनंद हम तभी उठा सकते हैं, परिवर्तन शाश्वत है। समय के साथ किसी भी वस्तु, विषय और विचार में भिन्नता आती है। मौसम बदलते हैं। मनुष्य की स्थितियां बदलती हैं। समय के साथ उत्तरोत्तर बदलने को ही विकास कहा जाता है। यदि हम बदलाव से मुंह चुराएंगे, तो हमारा विकास नहीं हो सकेगा।


k k mantra

गुरुपूर्णिमा2023

जीवन मेरा औरो जैसा ही है, अपितु गुरुजनों ने जो ज्ञान मुझे दिया है, उस ज्ञान से आज में किसी के लिए दीपक हूं, किसी के लिए सूरज, किसी के लिए साहस, किसी के लिए प्रेरणा, किसी के लिए दवा ।
आज तक आपसे जो भी ज्ञान अर्जित किया है, उस ज्ञान से ही जीवन की यात्रा में अग्रसर हूँ ! आपके आशीर्वाद से ''जो प्राप्त है वही पर्याप्त है" के इस सिद्धांत इस यात्रा को जी रहा हूँ, जीवन की इस लंबी यात्रा में आपका मार्गदर्शन सदैव प्राप्त होता रहे ऐसी कामना है, गुरुपूर्णिमा के इस पावन अवसर पर आपको मेरा सादर प्रणाम एवं आपको गुरू पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।।
कोटि कोटि नमन

Sunday, 2 July 2023

शुभविचार2023

kkmantr

kkmantr
॥ कालः सत्यं वदति || 
समय आपको सत्य से अवगत करा ही देता है..